आसीत् ब्रह्मपुरी नाम्ना मिथिलायां विराजिता तस्यां विराजते नित्यं गौतमो नाम तापसः अहल्यानाम तत्पत्नी पतिव्रता प्रियंम्बदा, सर्वलक्षण सम्पन्ना असीत् सर्वांग सुन्दरी ॥
पंचाध्यायी न्याय सूत्र कर्त्ता महर्षि अक्षपाद गौतम न्याय दर्शन के इतिहास में प्रथम नैयायिक हैं । उनका वास्तविक आश्रम बिहार के दरभंगा जिला स्थित ब्रह्मपुर में अवस्थित है, जो वर्तमान में 'गौतमकुंड' के नाम से जगत्प्रसिद्ध है। महर्षि गौतम की पत्नी माता अहिल्या थीं। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने यहां आकर अहिल्या का उद्धार किया था।
वर्ष २००४ की बाढ़ की विभीषिका में पुराना मंदिर जलमग्न हो गया था और उसकी ही छत पर महाराज श्री महावीर शरण जी अपने सहकर्मियों सहधर्मियों के साथ प्रलय के उस प्लावन में भी अपने आराध्य के प्रति प्राण की कीमत पर भी प्राणेश्वर का साथ न छोड़ने का संकल्प लेकर मंदिर के गुंबद पर ही डटे हुये रहे। इसी बीच डा. भारद्वज और ग्रामीणों के वहाँ से किसी सुरक्षित स्थान में जाकर चलने का निवेदन अस्वीकार करते हुये अपने आराध्य के साथ ही रहने की निष्ठा बनाये रखी थी।
वर्ष २००९ में गौतम आश्रम न्यास समिति का गठन और हुआ।
वर्ष २०१३ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने कई मंत्रियों के साथ यहाँ पधारे। उन्होंने गौतमकुण्ड के विकास के लिए योजना बनवाई और जलसंसाधन विभाग ने उसे मूर्त रूप दिया । प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर मंदिर का नया अपूर्ण स्वरूप आप सबों के सामने है। मंदिर के वास्तविक स्वरूप (प्रस्तावित मंदिर) को प्राप्त करने में विशेष धन और सहयोग की जरूरत पड़ेगी ।
©महर्षि गौतम ऋषि तीर्थ क्षेत्र 2023
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